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*भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय में सीपीआर जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन*

by Aditya Kumar

भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय में सीपीआर जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय में सीपीआर जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन, 6 दिसम्बर 2023 को किया गया। यह आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांए) डॉ एम रविन्द्रनाथ, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रमोद बिनायके, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनीता द्विवेदी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कौशलेंद्र ठाकुर के मार्गदर्शन में किया गया।

ज्ञात हो, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एन बी ई) ने, पूरे भारत में एक व्यापक सीपीआर जागरूकता कार्यक्रम प्रारंभ किया है। जिसका लक्ष्य, हृदय संबंधी आपात स्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक जीवन रक्षक कौशल में दक्ष बनाना है। इस पहल में, भिलाई इस्पात संयंत्र के सेक्टर- 9 स्थित, जवाहर लाल नेहरु अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र ने सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थानों के सहयोग से, यह पहल पूरे भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

कार्यक्रम की शुरुआत जवाहर लाल नेहरु अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित, एक सामूहिक प्रशिक्षण सत्र के साथ हुई। जहां 100 से अधिक प्रतिभागियों ने सीपीआर तकनीकों पर आवश्यक जानकारी के साथ उपचार सम्बंधित व्यावहारिक दिशानिर्देश प्राप्त किए। इस प्रशिक्षण सत्र में शामिल प्रतिभागियों में, परिचारक कर्मचारी, सुरक्षा कर्मचारी, एम्बुलेंस चालक, नर्सिंग स्टाफ, पैरा-मेडिकल स्टाफ तथा डीएनबी रेसिडेंट्स के साथ-साथ चिकित्सा अधिकारी सम्मिलित थे।

एनबीई द्वारा प्रसारित की गई प्रस्तुतिकरण के दौरान, श्री गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली के विशेषज्ञों द्वारा, सीपीआर के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया गया। प्रस्तुति के बाद, जवाहर लाल नेहरु अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों, डॉ. तनुजा आनंद, डॉ. जयिता सरकार और डॉ. अमित अग्रवाल ने सीपीआर की प्रक्रिया का विस्तार से प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी देखरेख में, प्रतिभागियों को इससे सम्बंधित पुतलों का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी करके दिखाया। इसके लिए प्रतिभागियों को हार्ट-अटैक के संकेतों को पहचानना, छाती पर दबाव डालने की तकनीक, बचाव के लिए कृत्रिम सांस प्रदान करना (रेस्क्यू ब्रीद) और ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (एईडी) को संचालित करने का तरीका सिखाया गया।

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