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*मेरी पत्नी बहुत खूबसूरत है, उसे निहारना अच्छा लगता है”, काम के घंटे पर छिड़ी बहस के बीच आनंद महिंद्रा ने ली चुटकी*

by Aditya Kumar

महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने शनिवार को काम की क्वालिटी पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि काम की क्वालिटी पर ध्यान दें उसकी मात्रा पर नहीं, क्योंकि 10 घंटे में दुनिया बदल सकती है। उन्होंने यह बयान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय युवा महोत्सव के दौरान दिया, जब उन्हें लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के अध्यक्ष एस. एन. सुब्रह्मण्यन के सप्ताह में 90 घंटे काम करने पर किए गए बयान को लेकर सवाल किया गया। पिछले वर्ष, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी यह कहकर एक बहस छेड़ दी थी कि युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

दरअसल, एस. एन. सुब्रह्मण्यन ने कुछ दिन पहले टिप्पणी की थी कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए और रविवार को भी छुट्टी नहीं लेनी चाहिए। इस टिप्पणी से सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई थी। उनका कहना था, “आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं?” इस टिप्पणी से कई लोग असहमत हो गए थे। हालांकि, आनंद महिंद्रा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बहस का ध्यान सिर्फ काम की मात्रा पर केंद्रित किया जा रहा है, जबकि असल मुद्दा काम की गुणवत्ता का है।
उन्होंने ने कहा, “मेरा कहना है कि हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, न कि काम की मात्रा पर। चाहे आप 40 घंटे, 70 घंटे या 90 घंटे काम करें, यदि आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं, तो वही महत्व रखता है। काम की गुणवत्ता सबसे जरूरी है।” महिंद्रा ने कहा कि उनक हमेशा से मानना ​​रहा है कि आपकी कंपनी में ऐसे लोग होने चाहिए जो समझदारी से निर्णय लें। तो सवाल यह है कि किस तरह का मस्तिष्क सही निर्णय लेता है? उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एक ऐसा मस्तिष्क होना चाहिए जो समग्र तरीके से सोचता हो, जो दुनिया भर से आने वाले सुझावों के लिए खुला हो।
परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने पर जोर

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इंजीनियरों और एमबीए जैसी पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को कला और संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए ताकि वे बेहतर निर्णय ले सकें। महिंद्रा उन्होंने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “यदि आप घर पर समय नहीं बिता रहे हैं, यदि आप मित्रों के साथ समय नहीं बिता रहे हैं, यदि आप पढ़ नहीं रहे हैं, यदि आपके पास चिंतन-मनन करने का समय नहीं है, तो आप निर्णय लेने में सही इनपुट कैसे लाएंगे?”

“हम हर समय केवल कार्यालय में ही रहेंगे…”

आनंद महिंद्रा ने वाहन बनाने वाली अपनी कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा का उदाहरण देते हुए कहा, “हमें यह तय करना होगा कि ग्राहक कार में क्या चाहता है। अगर हम हर समय केवल कार्यालय में ही रहेंगे, अपने परिवार के साथ नहीं होंगे, हम अन्य परिवारों के साथ नहीं होंगे तब हम कैसे समझेंगे कि लोग क्या खरीदना चाहते हैं? वे किस तरह की कार में बैठना चाहते हैं?’’ महिंद्रा से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उनके फॉलोअर अक्सर पूछते हैं कि उनके पास कितना समय है और वह काम करने के बजाय सोशल मीडिया पर इतना समय क्यों बिताते हैं। इसका जवाब देते हुए उद्योगपति ने कहा, ‘‘मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि मैं सोशल मीडिया पर ‘एक्स’ पर हूं, इसलिए नहीं कि मैं अकेला हूं। मेरी पत्नी बहुत खूबसूरत है। मुझे उसे निहारना अच्छा लगता है। मैं अधिक समय बिताता हूं। मैं यहां दोस्त बनाने नहीं आया हूं। मैं यहां इसलिए आया हूं, क्योंकि लोग यह नहीं समझते कि यह एक अद्भुत व्यावसायिक उपकरण है, कैसे एक ही मंच पर मुझे 1.1 करोड़ लोगों से प्रतिक्रिया मिलती है।

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