नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, भिलाई-दुर्ग को वर्ष 2023-24 के लिए मध्य क्षेत्र का ‘नराकास राजभाषा, सम्मान’ प्रथम पुरस्कार

राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 17 फरवरी 2025 को जयपुर प्रदर्शनी एवं समारोह केन्द्र (जे.ई.सी.सी.) सीतापुरा, जयपुर, राजस्थान में आयोजित उत्तर-1, उत्तर-2 तथा मध्य एवं पश्चिम क्षेत्रों के ‘संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह’ में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, भिलाई-दुर्ग को वर्ष 2023-24 के लिए मध्य क्षेत्र का ‘नराकास राजभाषा, सम्मान’ प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि माननीय भजन लाल शर्मा , मुख्यमंत्री, राजस्थान के करकमलों द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, भिलाई-दुर्ग की ओर से यह पुरस्कार कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन), भिलाई इस्पात संयंत्र, पवन कुमार ने ग्रहण किया।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री, माननीय नित्यानंद राय जी ने सौमिक डे, महाप्रबंधक (संपर्क व प्रशासन, जनसंपर्क एवं प्रभारी राजभाषा) भिलाई इस्पात संयंत्र को सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, भिलाई-दुर्ग, के रूप में सराहनीय कार्यों के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किया।
इस अवसर पर भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर से अमूल्य प्रियदर्शी, महाप्रबंधक (संपर्क व प्रशासन एवं जनसंपर्क) एवं जितेन्द्र दास मानिकपुरी, उप प्रबंधक (संपर्क व प्रशासन – राजभाषा) भी उपस्थित थे।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा देश भर के उपक्रमों, प्रतिष्ठानों एवं विभागों में समस्त कार्यालयीन कामकाज राजभाषा हिंदी में किया जाना सुनिश्चित करने तथा केन्द्र सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन हेतु पूरे भारत के विभिन्न नगरों में कुल 537 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है। मध्य क्षेत्र में कुल 57 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ हैं, जिनमें से वर्ष 2023-24 के लिए मध्य क्षेत्र का ‘नराकास राजभाषा, सम्मान’ प्रथम पुरस्कार भिलाई-दुर्ग के नराकास को प्रदान किया गया है।
पुरस्कार प्राप्ति पर श्री अनिर्बान दासगुप्ता, निदेशक प्रभारी, भिलाई इस्पात संयंत्र एवं अध्यक्ष, ‘नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, भिलाई-दुर्ग’ ने बधाई दी है तथा इसे समिति के सभी सदस्य संस्थानों के हिंदी के प्रति अनुराग, समर्पण, राजभाषा नीति का अनुपालन एवं हिंदी में समस्त कार्यालयीन कार्य करने की प्रतिबद्धता का परिणाम बताया है।