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एनआईआरडी एवं पीआर ने 75 दिव्यांगजनों को हुनरबाज पुरस्कार से किया सम्मानित

by admin

नई दिल्ली। आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में और 25 सितंबर 2021 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर अंत्योदय दिवस के अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी एवं पीआर) हैदराबाद ने 15 राज्यों के 75 दिव्यांगजनों को हुनरबाज पुरस्कार प्रदान किए। इस वर्चुअल पुरस्कार समारोह का आयोजन एनआईआरडीपीआर द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ मिलकर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों के सहयोग से किया गया था। एसआरएलएम के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और आरएसईटीआई के निदेशकों ने संबंधित राज्यों में विशेष रूप से उपलब्धि हासिल करने वाले दिव्यांग विजेताओं को यह पुरस्कार प्रदान किए। आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी एंड पीआर) हैदराबाद द्वारा 75 दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए डीडीयू-जीकेवाई और आरएसईटीआई का हुनरबाज पुरस्कार तय किए गए हैं।

इन पुरस्कार उन उम्मीदवारों को प्रदान किया जाता हैं, जिन्हें दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) और मंत्रालय की ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों (आरएसईटीआई) की योजनाओं के माध्यम से विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किया गया था, बाद में उन्हें एक वर्ष से अधिक समय तक विभिन्न संगठनों रखते हुए कार्य दिया गया या फिर वह स्वरोजगार के रूप में अपनी पसंद के व्यापार में सफलतापूर्वक कार्य में जुटे थे। पुरस्कार समारोह में वर्चुअल माध्यम से भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा; एनआईआरडीपीआर के महानिदेशक डॉ जी नरेंद्र कुमार; ग्रामीण विकास मंत्रालय में अपर सचिव मती अलका उपाध्याय और ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव (कौशल) अमित कटारिया ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों एवं आरएसईटीआई के निदेशकों के साथ हिस्सा लिया। पंडित दीन दयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा कि एकात्म मानववाद का उनका दर्शन और अंत्योदय, अंतिम व्यक्ति का उदय इस कार्यक्रम से गहराई से जुड़ा हुआ है। दिव्यांगजनों को सही अवसर उपलब्ध कराया जाये, तो वे ऊंची उड़ान भर सकते हैं और यही हमारे दिव्यांग खिलाडिय़ों ने 2021 के पैरालिंपिक में भारत तथा दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है। सिन्हा ने हुनरबाज पुरस्कार विजेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इसी तरह से, चुनौतियों से निपटने जाए और आत्मनिर्भर बनने के मामले में उनका जीवन दूसरों के लिए एक आदर्श है। उन नियोक्ताओं के साथ एक गोल मेज सम्मेलन आयोजित करने की आवश्यकता है जो वर्तमान में डीडीयू-जीकेवाई प्रशिक्षित उम्मीदवारों को नियुक्त कर रहे हैं और दिव्यांगजनों को सक्रिय रूप से अपने कार्यबल में शामिल करने के साथ-साथ राष्ट्रीय व बहु-राष्ट्रीय संगठनों में भी अवसर प्रदान करते हैं जो विविधता एवं समावेश एजेंडे की दिशा में काम कर रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि इससे ग्रामीण भारत के दिव्यांग युवाओं लिए डीडीयू-जीकेवाई और आरएसईटीआई के माध्यम से ऐसे संगठनों के लिए उपयुक्त कौशल, प्लेसमेंट और संरक्षण प्राप्त करने के दायरे और विकल्पों का और विस्तार होगा।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में एनआईआरडीपीआर के महानिदेशक डॉ जी नरेंद्र कुमार ने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 69 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति ग्रामीण भारत में हैं। अध्ययन साबित करते हैं कि दिव्यांग श्रमिकों की उत्पादकता दूसरों की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। साथ ही, दिव्यांग कर्मचारियों की नौकरी छोडऩे की दर दूसरों की तुलना में बहुत कम है और यह निश्चित रूप से नियोक्ताओं के लिए एक आकर्षक प्रस्ताव है। महानिदेशक ने अधिक संभावनाओं का पता लगाने के लिए और दिव्यांगजनों के प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए पीडब्ल्यूडी क्षेत्र कौशल परिषद के साथ संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला तथा ग्रामीण भारत में कृषि-क्षेत्रों से जुड़े हुए दिव्यांगजनों की पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) पर ध्यान केंद्रित किया।

डीडीयू-जीकेवाई कार्यक्रम में प्रशिक्षित और नियुक्त किए गए कई उम्मीदवारों की सफलता की स्मृतियों का उल्लेख करते हुए, मती अलका उपाध्याय ने कहा कि डीडीयू-जीकेवाई से जुड़े प्रत्येक उम्मीदवार के पास कहने के लिए एक यात्रा और सफलता की गाथा है। डीडीयू-जीकेवाई को अन्य कौशल कार्यक्रमों से अलग तरीके से लागू किया गया है और इसमें मजबूत मानक संचालन प्रक्रियाएं हैं। मती उपाध्याय ने कहा कि व्यावसायिक मानसिकता के बिना अच्छी संघटन कार्यप्रणालियों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। एक अध्ययन के माध्यम से यह सिद्ध हो चुका है कि यदि संघटन अभ्यास सही हैं, तो उनका प्लेसमेंट, प्रतिधारण और कैरियर की प्रगति भी प्रभावी होगी।

ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव (कौशल) अमित कटारिया ने इस अवसर पर कहा कि प्रशिक्षण एजेंसियों और नियोक्ताओं दोनों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक उनकी पहुंच के संदर्भ में मौजूद बाधाओं के बारे में हमारे दिव्यांग युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति संवेदनशील तथा जागरूक होना चाहिए। दिव्यांग युवाओं की आवश्यकताओं को मुख्यधारा में लाने के लिए एक अधिक सुसंगत व सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता है और मजबूत प्रक्रियाओं को स्थापित किया जाना है, जिसमें वे कौशल पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बन जाते हैं तथा अपने आत्मसम्मान को बरकरार रखने के लिए एक मार्ग तलाशते हैं जिससे उनके निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय का उद्देश्य समावेशिता को प्रोत्साहित करते हुए इसे बढ़ावा देना है जिससे समाज के सभी वर्गों के युवा आगे आ सकें तथा भारत को दुनिया का कौशल हब बनाने की इस प्रक्रिया में भाग ले सकें। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल अपने लिए एक सफल करियर बनाने हेतु जीवन में चुनौतियों का सामना करने वाले उम्मीदवारों को सम्मानित करने का अवसर है, बल्कि दिव्यांगजनों के प्रति मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दोहराने का भी मौका है।

पुरस्कार प्राप्त करने वाले कुछ उम्मीदवारों ने उपस्थित गणमान्यों को संबोधित किया और अपनी जीवन यात्रा तथा कौशल प्रशिक्षण से उनके जीवन में आए परिवर्तन के बारे में बताया। नियोक्ताओं और प्रशिक्षण भागीदारों ने भी उम्मीदवारों को कौशल एवं रोजगार के अपने अनुभव साझा किए तथा समावेश की यात्रा में नई दिशाओं का पता लगाने के लिए सुझाव भी दिए।

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