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पुलिसकर्मियों के जूतों से कुचलकर नवजात शिशु की मौत, सीएम ने दिए जांच के आदेश

by admin

गिरिडीह । झारखंड के गिरिडीह में पुलिस पर आरोप लगा है कि उसकी छापेमारी के दौरान कथित तौर पर पुलिसकर्मियों के जूतों से कुचलकर एक नवजात शिशु की मौत हो गई। इस मामले को लेकर जहां एक ओर हेमंत सोरेन सरकार घिर गई है, वहीं पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने यह मामला उठाकर इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है, तब वहीं अभी तक इस मामले में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उसमें से पांच को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि चार दिन के शिशु की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में तिल्ली (स्प्लीन) के फटने का उल्लेख होने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है। गिरिडीह के देवरी पुलिस थाने में दो अधिकारियों संगम पाठक और एसके मंडल समेत छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है… उनमें से पांच को निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट की देखरेख में और उचित वीडियोग्राफी के साथ डॉक्टरों की एक टीम ने शव का पोस्टमॉर्टम किया। पुलिस अधिकारी ने कहा कि कथित घटना देवरी पुलिस थाने के अंतर्गत कोशोडिंघी गांव में बुधवार को हुई, जब पुलिसकर्मी दो व्यक्तियों को गिरफ्तार करने के लिए एक घर में गए।
बता दें कि एक वीडियो प्रसारित होने के बाद मुख्यमंत्री सोरेन ने भी घटना की जांच के आदेश दिए थे। इस वीडियो में पांडेय यह दावा करते हुए दिख रहा है कि पुलिस कर्मियों ने देर रात 3 बजकर 20 मिनट पर उसके घर पर छापा मारा और बल प्रयोग कर दरवाजा खोल दिया। मामले की जांच जारी है। दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी ने कहा है कि ये कोई साधारण घटना नहीं है। उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि मुख्यमंत्री जी, गिरीडीह जिले की पुलिस जाँच पर किसी को भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि मामला रफा दफा नहीं किया जाना चाहिए और राँची से उच्चाधिकारियों की टीम भेज कर तुरंत जाँच और कार्रवाई सुनिश्चित करे। एक और ट्वीट में मरांडी ने कहा है कि नवजात बच्चे को पुलिस द्वारा बूट से कुचल कर मार देने वाले गिरीडीह जिले के देवरी थाने की दिल को दहलाने वाली पुलिस जुल्म की यह तस्वीर देखकर मुख्यमंत्री सोरेन जी का खून क्यों नहीं खौल रहा? ये समझ से परे है।
उन्होंने कहा है कि घटनास्थल गिरीडीह जिला मुख्यालय से सिर्फ 33 किमी दूर है, लेकिन वहाँ के एसपी के पास 17 घंटे बाद तक इतने लोमहर्षक घटना को खुद से देखने जाने का समय नहीं मिला। मुख्यमंत्री और पुलिस मुख्यालय के संदेश/निर्देश देने के बाद भी उन्हें समय नहीं मिला। मरांडी ने कहा है कि पुलिस की संवेदनहीनता का ज्वलंत नमूना है ये। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि जिस भाई-भाई के आपकी मारपीट के केस में पुलिस नवजात के दादा को गिरफ़्तार करने गई थी, वहां न्यायालय से जमानत पर हैं। मरांडी ने कहा कि तीन बजे रात में बिना महिला पुलिस के किसी परिवार वाले के घर में पुलिस के घुसने का कौन सा कानून है? वह भी बिना पता किए कि जिसे पकडने गया है, वहां तब जमानत पर है। उन्होंने कहा कि ऐसा जंगल राज तालिबान में भी नहीं देखा गया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि आपकी और थू-थू हो, वहाँ के छोटे-बड़े अफसरों पर कठोर कारवाई करिए, आगे आपकी मर्जी।

 

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