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गोधन न्याय योजना से महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम होने का मिला अवसर

by Aditya Kumar

 

रायगढ़ :  छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से आज लोगों की दिशा और दशा दोनों बदल रही है। इस योजना से जुड़कर महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ आर्थिक रूप से सक्षम होने का अवसर मिला है। कल तो जो ग्रामीण महिलाएं सिर्फ घर के चूल्हा-चौका तक सीमित थी आज वे सुचारू रूप से गृहस्थ चलाते हुए स्वयं तो सक्षम हुए बल्कि परिवार के लिए भी संबल बनी हुई है। ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है रायगढ़ विकासखण्ड के गोपालपुर गौठान में जहां समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट बनाने के साथ ही सब्जी-भाजी एवं फूलों का उत्पादन कर रही है।

उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोपालपुर में गौठान संचालित है। गौठान में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन में कार्यरत शारदा महिला स्व-सहायता समूह की श्रीमती भगवती महार ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन से समूह को कुल 2 लाख 70 हजार रुपये का लाभ प्राप्त हो चुका है। इसी तरह सब्जी-भाजी एवं फूलों की खेती से 55 हजार रुपये प्राप्त हुआ है। प्राप्त राशि से समूह की महिलाएं अपने घर की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने में उपयोग कर रही है। इस योजना से जुड़कर महिलाओं को अन्य किसी से आर्थिक मदद लेने के अलावा कहीं अन्य जगह मजदूरी करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ रही है। गौठान में गुणवत्तायुक्त वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन एवं बाड़ी विकास अंतर्गत सब्जी-भाजी के बेहतर उत्पादन करने हेतु मार्गदर्शन देने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी परस्पर सहयोग रहे है। समूह की सभी महिलाओं ने गोधन न्याय योजना संचालन के लिए शासन को अपना धन्यवाद ज्ञापित किये है।

गांवों में खुशहाली का सबब बना गोधन न्याय योजना

शासन द्वारा गोधन न्याय योजना की शुरुआत जिन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए की गई थी, इस योजना ने उन सभी लक्ष्यों में बहुत कम समय में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है। यह योजना आज गांवों में खुशहाली का सबब बन गई है। इस योजना के तहत जिले के अन्य गोठानों में भी महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। इसके अलावा गौठानों में महिला समूहों द्वारा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अच्छी आय हो चुकी हैं।

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