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हमें जी20 को दुनिया के अंतिम छोर तक ले जाना है, किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना है: पीएम मोदी

by Aditya Kumar

नई दिल्ली। वसुधैव कुटुम्बकम – हमारी भारतीय संस्कृति के इन दो शब्दों में एक गहरा दार्शनिक विचार समाहित है। इसका अर्थ है, पूरी दुनिया एक परिवार है। यह एक ऐसा सर्वव्यापी दृष्टिकोण है जो हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक ऐसा परिवार जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन ना हो। जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान, यह विचार मानव-केंद्रित प्रगति के आह्वान के रूप में प्रकट हुआ है। हम One Earth के रूप में, मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं। हम One Family के रूप में विकास के लिए एक-दूसरे के सहयोगी बन रहे हैं। और One Future के लिए हम एक साझा उज्जवल भविष्य की ओर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं।
कोरोना वैश्विक महामारी के बाद की विश्व व्यवस्था इससे पहले की दुनिया से बहुत अलग है। कई अन्य बातों के अलावा, तीन महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। पहला, इस बात का एहसास बढ़ रहा है कि दुनिया के जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की आवश्यकता है।
दूसरा, दुनिया ग्लोबल सप्लाई चेन में सुदृढ़ता और विश्वसनीयता के महत्व को पहचान रही है।
तीसरा, वैश्विक संस्थानों में सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने का सामूहिक आह्वान सामने है।
जी-20 की हमारी अध्यक्षता ने इन बदलावों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है।

पीएम मोदी ने कहा कि, दिसंबर 2022 में जब हमने इंडोनेशिया से अध्यक्षता का भार संभाला था, तब मैंने यह लिखा था कि जी-20 को मानसिकता में आमूल-चूल परिवर्तन का वाहक बनना चाहिए। विकासशील देशों, ग्लोबल साउथ के देशों और अफ्रीकी देशों की हाशिए पर पड़ी आकांक्षाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए इसकी विशेष आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसी सोच के साथ भारत ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ का भी आयोजन किया था। इस समिट में 125 देश भागीदार बने। यह भारत की अध्यक्षता के तहत की गई सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक रही। यह ग्लोबल साउथ के देशों से उनके विचार, उनके अनुभव जानने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इसके अलावा, हमारी अध्यक्षता के तहत न केवल अफ्रीकी देशों की अबतक की सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई है, बल्कि जी-20 के एक स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने पर भी जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि हमारी दुनिया परस्पर जुड़ी हुई है, इसका मतलब यह है कि विभिन्न क्षेत्रों में हमारी चुनौतियां भी आपस में जुड़ी हुई हैं। यह 2030 एजेंडा के मध्य काल का वर्ष है और कई लोग चिंता जता रहे हैं कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के मुद्दे पर प्रगति पटरी से उतर गई है। एसडीजी के मोर्चे पर तेजी लाने से संबंधित जी-20 2023 का एक्शन प्लान भविष्य की दिशा निर्धारित करेगा। इससे एसडीजी को हासिल करने का रास्ता तैयार होगा। भारत में, प्राचीन काल से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ना हमारा एक आदर्श रहा है और हम आधुनिक समय में भी क्लाइमेट एक्शन में अपना योगदान दे रहे हैं। ग्लोबल साउथ के कई देश विकास के विभिन्न चरणों में हैं और इस दौरान क्लाइमेट एक्शन का ध्यान रखा जाना चाहिए। क्लाइमेट एक्शन की आकांक्षा के साथ हमें ये भी देखना होगा कि क्लाइमेट फाइनेंस और ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी का भी ख्याल रखा जाए।
पीएम मोदी ने कहा कि, हमारा मानना ​​​​है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए पाबंदियों वाले रवैये को बदलना चाहिए। ‘क्या नहीं किया जाना चाहिए’ से हटकर ‘क्या किया जा सकता है’ वाली सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। हमें एक रचनात्मक कार्यसंस्कृति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

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