-शिवनाथ नदी में विसर्जन के लिए निगम की तैयारी पूरी,माता दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान निगम के अधिकारी और कर्मचारी रहेंगे तैनात:
-आयुक्त ने जनता से कहा- निर्धारित किये गये तालाबों पर ही करें विसर्जन:
दुर्ग। 11 अक्टूबर।माता दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर दुर्ग निगम की तैयारी लगभग पूरी हो गई है।नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत आयुक्त लोकेश चन्द्राकर द्वारा शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान शहर के विभिन्न स्थानों पर विराजे माता दुर्गा की प्रतिमाओं को पूर्ण विधि-विधान के साथ विसर्जित कराने के लिए नगर निगम द्वारा विसर्जन शिवनाथ नदी सहित शहर के कुछ तालाबों को चिन्हित कर व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। उक्त व्यवस्था के संपादन के लिए विसर्जन समाप्ति तक निरंतर सुनिश्चित कराने के लिए प्रभारी कार्यपालन अभियंता आर.के. जैन को नोडल अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है।
विसर्जन कार्यक्रम स्थल पर व्यवस्थाओं को लेकर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। शिवनाथ नदी मूर्ति विसर्जन हेतु पहुंच मार्ग, समतलीकरण,अस्थाई कुण्ड निर्माण,शमियाना एवं कुर्सी, टेबल की व्यवस्थाएं देखेंगे।
महापौर धीरज बाकलीवाल ने माता दुर्गा विसर्जन को लेकर नागरिकों से अपील की हैं कि नदी व वार्डो के तालाबों में निगम द्वारा बनाये गए कुंड में ही पूजन सामग्री के एकत्रीकरण में सहयोग करें।
उन्होंने कहा कि वार्डो के तालाबो में चिन्हित स्थानों पर अस्थायी पर्यावरण हितेषी कुण्ड रखें गए है।साथ ही नागरिको को पर्यावरण सुरक्षा व जल प्रदूषण को रोकने की दृष्टि से विसर्जन से पूर्व भगवान गणेश प्रतिमा की पूजन सामग्री यथा माला,वस्त्र ,नारियल,फूल व पत्ती को एक कुंड पर विसर्जन करने की अपील भी की गई है।उन्होंने कहा कि माता दुर्गा प्रतिमा विसर्जन हेतु तालाब निर्धारित किये गये वही पर विसर्जन करें।
निगम आयुक्त लोकेश चन्द्राकर ने नगर निगम व पुलिस प्रशासन के आपसी समन्वय से व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराने तैनात किया है। निगम आयुक्त लोकेश चन्द्राकर ने शहर पर समस्त आवश्यक व्यवस्थाएं विधिवत पारम्परिक रूप से समय सीमा में पूर्ण कराने का दायित्व संबंधित अधिकारी/कर्मचारियो को सौंपा है। यह अधिकारी/कर्मचारी इन पुलगांव वार्ड 55 शिवनाथ नदी गुरुद्वारा के निकट, महमरा घाट, शक्ति नगर, सतरूपा शीतला कसारीडीह तालाब वार्ड 29,वार्ड 57 व 58 पॉन्ड के पास तालाब पर तैनात रहेंगे।जन संपर्क विभाग।राजू बक्शी