Home » *मोमबत्ती व दीयों से होगा शहर जगमग*

*मोमबत्ती व दीयों से होगा शहर जगमग*

by Aditya Kumar

दुर्ग: मोमबत्ती व दीयों से होगा शहर जगमग

महिलाओं ने मोमबत्ती बेचकर कमाये 20 हजार रूपए
दुर्ग: बच्चों का पालन पोषण और घर के कार्य में अपना समय व्यतीत करने वाली महिलाएं आत्मनिर्भर नारी के रूप में ग्राम पंचायत में उभर कर अपनी एक अनोखी छाप छोड़ रही है। बस्तर सरस मेला में महिलाओं द्वारा 20 हजार रूपए की मोमबत्ती विक्रय की गई।
दुर्ग जिले के ग्राम पंचायत बोरीगारका की श्रीमती पुष्पा साहू ने सिद्धी स्व सहायता समूह से जुड़ कर गांव की अन्य महिलाओं के साथ बिहान योजना में कार्य करना शुरू किया। कार्य करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर योजना के तहत बैंक से ऋण लेकर अचार, पापड़, मोमबत्ती, दीया एवं केक का प्रशिक्षण प्राप्त कर अन्य महिलाओं के साथ व्यवसाय प्रारंभ किया।
आज महिलाओं को घरेलू व्यवसाय से साल भर में एक से 2 लाख रूपए तक की आमदनी प्राप्त हो रही है, जिससे वह अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में खर्च कर रही है। श्रीमती पुष्पा व्यवसाय ने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए एक स्कूटी खरीदी, जिसके माध्यम से वह अपने उत्पादों को गांव-गांव में पहुंचा रही है। श्रीमती साहू ने अपने बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए बिलासपुर पीएससी कोचिंग में दाखिला कराया है। पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली महिलाएं दीवाली के लिए विशेष रूप से मोमबत्ती, दीये व सजावटी समान बनाकर गांव से शहर तक पहुंचा रही है।
श्रीमती पुष्पा साहू स्वयं प्रशिक्षित होकर राजनांदगांव, रायपुर, बेमेतरा जिले के गांवों की महिलाओं को भी प्रशिक्षण दे रही है और उनकों प्रेरित कर आत्मनिर्भर बना रही है। उन्होंने बताया कि समूह का गठन 22 मई 2015 में किया गया, जिसमें कुल 11 सदस्य है। समूह गठन होने के बाद बैंक से लोन लेकर आचार बनाने का कार्य शुरू किया। उन्होंने बताया कि अचार विक्रय से अच्छी आमदनी होने लगी, तत्पश्चात समूह की महिलाओं ने मोमबत्ती बनाने की ट्रेनिंग ली जिससे महिलाओं को अधिक मुनाफा होने लगा।
श्रीमती पुष्पा ने बताया कि अब इतनी अच्छी आमदनी हो रही है कि मोमबत्ती दूसरे जिले- रायपुर, बालोद, कवर्धा, बस्तर, जगदलपुर स्थानों में जाने लगी है, जिससे हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। उनकों इस उपलब्धि और कार्याे को देखते हुए जिला पंचायत के परिसर में 26 एवं 27 अक्टूबर को लगने वाले बिहान बाजार में स्टॉल लगाने का मौका दिया गया है। अब सिद्धी स्व सहायता समूह की महिलाएं मोमबत्ती, अचार के अलावा बड़ी, पापड़ और केक बनाने का भी कार्य कर रही है। इसके अलावा पंचायत के द्वारा शासन की योजना के अंतर्गत मछली पालन के लिए 10 साल के लिए तालाब को लीज में दिया है।

Share with your Friends

Related Posts