बिलासपुर- कोरिया जिले के अपर कलेक्टर एडमंड लकड़ा को अजाक थाना बैकुंठपुर द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजे जाने का विरोध करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी संघ के जिला शाखा ने मुख्य सचिव के नाम कलेक्टर बिलासपुर को ज्ञापन सौंपा है और कहा है कि अपर कलेक्टर श्री ल कड़ा को तत्काल न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त किया जाए। दोषपूर्ण विवेचना करने वाले विवेचना अधिकारी के विरुद्ध विधि सम्मत कठोर कार्रवाई की जाए एवं पुलिस विभाग को भविष्य में ऐसे मामलों में उपरोक्त प्रधानों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश प्रसारित किए जाएं ताकि राजस्व अधिकारियों को बिना वजह न्यायालयीन कार्यवाही के दौरान किए गए कार्य के लिए उत्पीड़न का शिकार नहीं होना पड़े । मुख्य सचिव के नाम सौंपे गए ज्ञापन में छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी संघ जिला शाखा बिलासपुर ने उल्लेखित किया है कि जिला कोरिया में अपर कलेक्टर के पद पर कार्यरत एडमंड लकड़ा को 6 जनवरी को न्यायालयीन कार्य संपादन के दौरान एवं सुनवाई व निराकृत किए गए प्रकरण से परी वेदित व्यक्ति के आ वेदन पर पुलिस द्वारा थाना आजाक बैकुंठपुर में अपराध क्रमांक 32 /2020 धारा 294, 506, 420, 467, 468, 471, 374 भादवि एवं 3( एक) (द)(ध) 3 (1 )अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत पंजीबद्ध किया जाकर गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध किया गया है ।श्री लकड़ा द्वारा उनके न्यायालयीन कार्रवाई के सुनवाई के किए गए भूमि विक्रय प्रकरण में दी गई अनुमति को धारा 32 छत्तीसगढ़ भू.रा. संहिता 1959 के अधीन प्राप्त अंतर्निहित शक्ति के तहत अनुमति को निरस्त किया गया था । छग भू.रा. संहिता 1959 की धारा 31 के अंतर्गत राजस्व अधिकारियों को न्यायालय की प्रास्थिति कानून अंतर्गत प्राप्त है । भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 121 के अंतर्गत किसी भी न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट न्यायालय से ऐसे मजिस्ट्रेट न्यायालय में ऐसे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट के नाते अपने स्वयं के आचरण के बारे में या ऐसी किसी बात के बारे में जिसका ज्ञान उसे ऐसे न्यायाधीश ने मजिस्ट्रेट के नाते न्यायालय में हुआ हो किन्हीं प्रश्नों का उत्तर देने के लिए किसी ऐसे भी न्यायालय के विशेष आदेश के सिवाय जिसके वह अधीनस्थ है विवश नहीं किया जाएगा न्यायाधीश( संरक्षण) अधिनियम 1985 की धारा 2(1 )के अंतर्गत न्यायालयीन कार्रवाई करने वाले सभी अधिकारी न्यायाधीश के अंतर्गत आते हैं न्यायालयीन कार्रवाई करने वाले सभी अधिकारियों को उपरोक्त अधिनियम की धारा 3 के प्रावधान अंतर्गत संरक्षण प्राप्त है तथा उसके विरुद्ध कोई पदिय न्यायिक कर्तव्य के निर्वहन में कार्य कर रहा हो या उसके अनुक्रम में किए गए किसी काम की गई किसी बात या बोले गए किस शब्द के लिए किसी सिविल या दांडिक कार्यवाही को ग्रहण नहीं करेगा या जारी नहीं रखेगा। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 197 के अंतर्गत शासकीय कार्य करने के दौरान लोक सेवक द्वारा किसी दंडनीय अपराध के लिए जिस के संबंध में यह कहा गया है कि वह लोकसेवक द्वारा किया गया है ,न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने के पूर्व सक्षम अधिकारी द्वारा अभियोजन की स्वीकृति आवश्यक है। पुलिस महानिरीक्षक के पत्र दिनांक 13 जून 2016 के द्वारा समस्त पुलिस अधीक्षक छग को निर्देशित किया गया है कि किसी पक्षकार द्वारा पुलिस थाने में शिकायत प्रस्तुत किए जाने पर की शासकीय कर्तव्य के निर्वहन के दौरान लोक सेवक ने नियम विरुद्ध कार्य किया है, में संबंधित लोक सेवक के नियंत्रक अधिकारी/ जिला दंडाधिकारी से विस्तृत जानकारी प्राप्त कर प्रारम्भिक जांच करने पर संज्ञेय अपराध घटित होना पाए जाने पर ही अपराध दर्ज किया जाए यदि संज्ञेय अपराध घटित होना नहीं पाया जाता है तो शिकायतकर्ता सहित संबंधित लोक सेवक के नियंत्रक अधिकारी /जिला दंडाधिकारी पुलिस अधीक्षक के माध्यम से सूचित किया जाए। इसके अलावा न्यायालयीन कार्रवाई के दौरान व्यथित व्यक्ति को पुनर्विलोकन /पुनरीक्षण एवं अपील का उपचार विधि में प्राप्त है ।परिवदित व्यक्ति को उक्त वैधानिक व्यवस्था का आवलंब लेनाचाहिए था, साथ ही अधीनस्थ न्यायालय द्वारा प्रकरण के विचारण में कोई त्रुटि का मार्जन भी वरिष्ठ न्यायालय द्वारा किया जाता है इस कारण न्यायालयीन कार्यवाही के दौरान किसी किए गए किसी कार्य को पुलिस द्वारा हस्तक्षेप किया जाना अधिकारिता विहीन है । विवेचना अधिकारी द्वारा उपरोक्त विधिक प्रावधानों को पूर्णतः नजरअंदाज करते हुए विधि विरुद्ध विवेचना कर कार्यवाही करते हुए एडमंड लाकड़ा को न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध करवाने की कार्यवाही की गई है। पुलिस द्वारा विधि विरुद्ध कार्यवाही किए जाने से सभी राजस्व अधिकारियों का मनोबल कमजोर हुआ है एवं राजस्व प्रकरणों में आदेश पारित करने में आक्रांत है ऐसे परिवेश में राजस्व अधिकारियों को कार्य संपादन में कठिनाई होगी। ज्ञापन में अतिरिक्त कलेक्टर बी एस उइके समेत राजस्व अधिकारियों आंनद रूप तिवारी,देवेंद्र पटेल ,मोनिका वर्मा ,पंकज दाहिरे , अनिष्का पाण्डेय,दिव्या अग्रवाल , अजीत पुजारी ,मनोज केश्रिया ,तुलाराम भार द्वाज,गुरुदत्त पंचभाए,राजकुमार साहू ,नारायण गबेल ,प्रकृति ध्रुव,मनीषा साहू ,तुलसी मंजरी साहू ,बी एस जोशी ,शेष नारायण जायसवाल ,शिल्पा भगत ,कृष्ण कुमार जायसवाल ,मनोज कुमार ,ऋचा सिंह ,राजेंद्र भारत,प्रेम प्रकाश शर्मा ,प्रभाकर पाण्डेय, तुलसी राठौर आदि के हस्ताक्षर है। सभी अधिकारियों ने मुख्य सचिव के नाम कलेक्टर सारांश मित्तर को ज्ञापन सौंपा है।
राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियो ने CS के नाम DM को सौंपा ज्ञापन
previous post