दुर्ग / जैनशास्त्र उत्तरा अध्ययन के 23 वे श्लोक का स्वाध्याय एवं जाप अनुष्ठान रवि पुष्प नक्षत्र के विशेष लग्न पर मालवीय नगर स्थित जैन दादाबाड़ी में श्रमण संघ दुर्ग ने संत श्री गौरव मुनि के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
एगे जिए जिया पंच, जिए जिया दस, दसोहा उ जणिताण? सव्वसतु जिणामह? के श्लोक का संत गौरव मुनि ने धर्म सभा को मैं जाप अनुष्ठान कराया इस अनुष्ठान में पति पत्नी के जोड़े एक साथ मिलकर सामायिक की साधना करते हुए इस आयोजन में हिस्सा लिया। जैन समाज के सभी संप्रदाय के लोग इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दर्ज की
संत गौरव मुनि ने धर्म सभा में उत्तरा अध्ययन के 23 वर्ष लोक की व्याख्या करते हुए कहा जो साधक अपने मन पर विजय प्राप्त करता है वही पांच इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर सकता है और जो पांच इंद्रियों पर विजय प्राप्त करता है वही साधक यति धर्म पर विजय प्राप्त कर सकता है और वही समस्त शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। जो साधक कान, आंख, नाक, मुंह और शरीर अपना वर्चस्व रख सकता है वही साधक सच्चा साधु है और वही साधु का सच्चा धर्म भी है इंद्रियों पर विजय प्राप्त करना यही धर्म की सच्ची साधना है।