भोजन में आयरन, फॉलिक एसिड, विटामिंस और प्रोटीन की कमी होने की वजह से शरीर में रेड ब्लड सेल्स की संख्या घट जाती है और इसी मेडिकल कंडीशन को एनीमिया कहा जाता है। तो एनीमिया की प्रॉब्लम होने पर महिला हो या पुरुष, आपको इन बातों की जानकारी होनी चाहिए कि इस दौरान किस तरह का खानपान और जीवनशैली। अपनाना जरूरी है और किन चीज़ों को अवॉयड करना है।
– अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों के अलावा सेब, अनार, चुकंदर, खजूर, मूंगफली, गुड़ और सूखे मेवों की प्रमुखता से शामिल करें।
– शरीर में फॉलिक एसिड की मात्रा बढ़ाने के लिए अपनी डाइट में कुट्टू का आटा, ओटमील, गोभी मशरूम, ब्रोकली, शहद और एस्पेरेगस को शामिल करें।
– सब्जियों को लोहे की कड़ाही में पकाएं।
– हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने के लिए भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन सी को भी प्रमुखता से शामिल करना चाहिए। इसके लिए हर तरह की दालें, अंकुरित अनाज, संतरा, आंवला और अंगूर जैसे खट्टे मौसमी फलों को प्रमुखता से शामिल करें। इससे शरीर में आयरन के अवशोषण की क्षमता बढ़ जाती है।
– अगर नॉन-वेजिटेरियन हैं तो रेड मीट और अंडे का सेवन फायदेमंद साबित होगा।
– अगर अनावश्यक थकान या कमजोरी जैसे लक्षण नजर आएं तो सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) टेस्ट जरूर कराएं। अगर रिपोर्ट में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 ग्राम से कम हो तो डॉक्टर की सलाह पर आयरन और फॉलिक एसिड की गोलियां लें और जब तक ब्लड में आयरन का लेवल सामान्य न हो जाए डॉक्टर की सलाह पर इन सप्लीमेंट्स का सेवन करती रहें।
– एनीमिया मुख्यतः खानपान की गलत आदतों और पोषण की कमी की वजह से होने वाली समस्या है। इसलिए आप इन आदतों को अपनी जीवनशैली से बाहर निकाल दें।
– क्रैश डाइटिंग से दूर रहे।
– जहां तक संभव हो अधिक उपवास करने से बचें।
– जंक फूड और डिब्बाबंद जूस का सेवन न करें क्योंकि इनमें पोषक तत्वों की कमी होती है और इनके प्रिजर्वेटिव सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं।
– हरी सब्जियों को काटने के बाद न धोएं, उन्हें बहुत ज्यादा देर तक न पकाएं। इससे उनमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
– सेब, नाशपाती, खीरा और अमरूद जैसे फलों को काटते समय छिलका न उतारें क्योंकि इन फलों के छिलके में पर्याप्त मात्रा में आयरन और विटामिंस मौजूद होते हैं।
– सेहत के प्रति लावपवाही न बरतें। अगर अक्सर थकान महसूस हो तो इसे मामूली समस्या समझकर अनदेखा न करें। यह एनीमिया का भी लक्षण हो सकता है इसलिए बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें।
– 40 साल की उम्र के बाद पीरियड्स के दौरान होने वाली हैवी ब्लीडिंग को मेनोपॉज का लक्षण समझकर अनदेखा न करें क्योंकि इससे भी शरीर में खून की कमी हो सकती है।