Home » लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा 12 बजे से राहुल शुरुआत करेंगे

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा 12 बजे से राहुल शुरुआत करेंगे

by Aditya Kumar

नई दिल्ली । लोकसभा में आज दोपहर 12 बजे से मणिपुर हिंसा पर केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में भी विपक्षी सांसदों ने जबरदस्त हंगामा किया। TMC के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन स्पीकर जगदीप धनखड़ के सामने आकर नारेबाजी कर रहे थे। उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत राहुल गांधी करेंगे। सरकार की ओर से जवाब देने वाले पहले मेंबर निशिकांत दुबे होंगे। राहुल की सांसदी एक दिन पहले 7 अगस्त को ही बहाल की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा के आखिरी दिन 10 अगस्त को जवाब दे सकते हैं। PM मणिपुर हिंसा के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर भी अपनी बात रख सकते हैं। PM नरेंद्र मोदी ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में कहा- जो लोग सोशल जस्टिस की बात करते हैं, उन्होंने ही परिवारवाद, भ्रष्ट नीतियों और तुष्टिकरण से इसे सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दिया था अविश्वास प्रस्ताव नोटिस

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की ओर से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने 26 जुलाई को मोदी सरकार के खिलाफ इस प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने स्वीकार कर लिया था। 2014 से ये दूसरी बार है जब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा को लेकर I.N.D.I.A के नेताओं की बैठक संसद में राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष के ऑफिस में हो रही है। BJP की आज संसदीय दल की बैठक हुई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है? लोकसभा देश के लोगों की नुमाइंदगी करती है। यहां जनता के चुने हुए प्रतिनिधि बैठते हैं, इसलिए सरकार के पास इस सदन का विश्वास होना जरूरी है। इस सदन में बहुमत होने पर ही किसी सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार है। इसे पास कराने के लिए लोकसभा में मौजूद और वोट करने वाले कुल सांसदों में से 50% से ज्यादा सांसदों के वोट की जरूरत होती है।

2019 के बाद PM ने लोकसभा में कुल 7 बार डिबेट में हिस्सा लिया

संसद के रिकॉर्ड के मुताबिक, 2019 के बाद PM मोदी ने लोकसभा के कार्यकाल के दौरान कुल 7 बार डिबेट में हिस्सा लिया है। इनमें से पांच मौकों पर उन्होंने राष्ट्रपति के भाषण के बाद जवाब दिया। जबकि एक बार उन्होंने श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाए जाने को लेकर और दूसरी बार लोकसभा स्पीकर के तौर पर ओम बिड़ला के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान अपनी बात रखी थी। अविश्वास प्रस्ताव सदन में ज्यादातर बार फेल होता है, लेकिन फिर भी ये विपक्ष का हथियार क्यों? 1963 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता जेबी कृपलानी ने लोकसभा में पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। हालांकि, वोटिंग में PM जवाहरलाल नेहरू की सरकार बहुमत हासिल करने में कामयाब रही थी।

आचार्य कृपलानी ने इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा था, ‘मेरे लिए यह बेहद दुख की बात है कि मुझे ऐसी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाना पड़ रहा है, जिस सरकार में मेरे 30 साल पुराने कई दोस्त शामिल हैं। इसके बावजूद अपने कर्तव्य और अंतरात्मा की आवाज पर सरकार की जवाबदेही के लिए मैं ये प्रस्ताव ला रहा हूं।’ इसके जवाब में PM जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘इस तरह के प्रस्ताव के जरिए सरकारों का समय-समय पर परीक्षण किया जाना अच्छा है। खासकर तब भी जब सरकार गिरने की कोई संभावना न हो।’ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सभी दलों के सांसद राज्य या देश से जुड़े सवाल पूछते हैं। सरकार को इसका जवाब देना पड़ता है। 2018 में TDP के सांसदों ने आंध्र प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछे थे।

कहीं उल्टा तो नहीं पड़ जाएगा विपक्षी दलों का ये दांव….इसकी 2 मुख्य वजहें हैं…

भले ही विपक्षी दलों की ओर से केंद्र सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा हो, लेकिन विपक्ष का ये दांव उल्टा भी पड़ सकता है। इसकी 3 वजहें बताई जा रही हैं…

1. संख्या बल: लोकसभा के 537 सदस्यों में से विपक्षी अलायंस INDIA के पास 143 सांसद हैं। वहीं, मोदी सरकार के समर्थक लोकसभा सांसदों की संख्या करीब 333 है। ऐसे में संख्या बल में सरकार विपक्षी दलों पर भारी पड़ेगी।

2. अविश्वास प्रस्ताव गिरने से विपक्ष की आलोचना: इस बात की संभावना है कि अविश्वास प्रस्ताव के गिरने के बाद मोदी सरकार 2024 लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को विपक्षी दलों की आलोचना करने के लिए इस्तेमाल करेगी।

राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पास, शाह बोले- 11 अगस्त को मणिपुर पर चर्चा करें

राज्यसभा में सोमवार (7 अगस्त) को केंद्र सरकार की तरफ से पेश किया गया दिल्ली सर्विस बिल पास हो गया। ऑटोमैटिक वोटिंग मशीन खराब होने के कारण पर्ची से वोटिंग कराई गई। पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट डले। बिल अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा।

Share with your Friends

Related Posts