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चंद्रयान-3 की सफलता के बाद केरल के मंदिर पहुंचे ISRO प्रमुख

by Aditya Kumar

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस सोमनाथ चंद्रयान-3 की सफलता के बाद केरल के एक मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने पूजा-अर्चना की।

रविवार को इसरो प्रमुख सोमनाथ ने तिरुवनंतपुरम के पूर्णमिकवु भद्रकाली मंदिर में पूजा की। उन्होंने इस दौरान पत्रकारों से बात की और कहा कि भारत के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र की यात्रा करने की क्षमता है, लेकिन हमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की जरूरत है।

इसरो प्रमुख ने आगे कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास के लिए और निवेश की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारा मिशन यही है कि अंतरिक्ष क्षेत्र का विकास हो। पूरे देश का विकास हो। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने हमें जो विजन दिया था, उसे पूरा करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि भारत को सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ाने की जरूरत है। भारत के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र की यात्रा करने की क्षमता है, वह विश्वास बढ़ाकर हर ग्रह की यात्रा कर सकता है। उन्होंने कहा कि मैं एक खोजकर्ता हूं। मैं चंद्रमा का अन्वेषण करता हूं। विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों की खोज करना मेरे जीवन की यात्रा का एक हिस्सा है। मैं कई मंदिरों में जाता हूं और कई धर्मग्रंथ पढ़ता हूं।

इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि सबकुछ बहुत अच्छे से काम कर रहा है। चंद्रयान-3, लैंडर, रोवर ठीक हैं। बोर्ड पर सभी पांच उपकरण चालू कर दिए गए हैं और यह अब डाटा दे रहा है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हम सभी प्रयोगों को पूरा करने में सक्षम होंगे। अलग-अलग चरण हैं, जिनके लिए इसका परीक्षण किया जाना है।

चंद्रयान-3 के टचडाउन पॉइंट को ‘शिव शक्ति’ कहे जाने पर इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि पीएम ने इसका अर्थ उस तरीके से बताया जो हम सभी के लिए उपयुक्त है। मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि देखिए, हम जो कर रहे हैं उसका एक महत्व होना चाहिए और देश के प्रधानमंत्री होने के नाते यह नाम रखने का उनका विशेषाधिकार है।

गौरतलब है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में जानकारी दी थी कि चंद्रयान-3 मिशन के रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक ‘मूनवॉक’ कर 8 मीटर की दूरी तय कर ली है और इसके सारे पेलोड सही तरीके से काम कर रहे हैं। बता दें, चंद्रयान -3 का विक्रम लैंडर बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सुरक्षित रूप से उतरा था।

 

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