नई दिल्ली । एक मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया है कि अब अधूरे प्रोजेक्ट डिलीवर करने पर बिल्डर्स को मुआवजा देना होगा। कोर्ट ने कहा कि बिल्डर्स को बायर्स से किया गया हर वादा पूरा करना होगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि बायर्स को किए गए वादे के मुताबिक प्रोजेक्ट के बुनियादी ढांचे में शिकायत और उसमें मौजूद सुविधाओं (जिनका वादा किया गया था) के बिना फ्लैट डिलीवर करने यानी प्रोजेक्ट के अधूरा होने की स्थिति में बिल्डर्स को क्रङ्ख्र को मुआवजा देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिल्डर्स घर खरीदने वाले लोगों से किए को गए सभी वादे, सभी बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के बिना घऱ नहीं सौंपेंगे और अगर उनकी परियोजना समय पर घर दिए जाने के किए गए वादे के मुताबिक अधूरी हो तो बिल्डर्स को क्रङ्ख्र को मुआवज़ा देना होगा। दरअसल दिल्ली से सटे गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के एक प्रोजेक्ट, रॉयल गार्डन सोसाइटी से जुड़े केस की सुनवाई अदालत में चल रही थी। इस मामले में बिल्डर पद्मिनी इंफ्रास्ट्रक्चर ने 18 साल पहले सोसोइटी को वाटर सॉफ्टनिंग प्लांट, हेल्थ क्लब, स्विमिंग पूल, और फायर फाइटिंग सिस्टम देने का वादा किया था और इन वादों को पूरा किए बिना ही प्रोजेक्ट को हैंडओवर कर दिया था। इस मामले को लेकर कोर्ट में लंबा विवाद चला था, जिसमें 18 साल के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने इंसाफ किया है और बिल्डर कंपनी को क्रङ्ख्र को 60 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।